धोखेबाज दोस्त || Dhokebaaz Dost

Dhokebaaz Dost – एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में राम और श्याम नामक दोस्त रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे और अपना समय साथ में बिताते थे। राम बहुत ही ईमानदार, मेहनती और दयालु था, जबकि श्याम धोखेबाज और नकली व्यक्ति था।

एक दिन, राम ने अपनी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया और उसने खुशी में श्याम को अपने घर बुलाया। श्याम खुशी खुशी राम के घर गया और उन्होंने राम को बधाई दी। राम ने श्याम का स्वागत किया और उसे अपने मित्रों के साथ खाने के लिए बुलाया। श्याम को राम के साथ समय बिताने में खुशी हुई और श्याम ने खा तुम मेरे लिए एक सच्चे मित्र की तरह हो। हम दोनों साथ मिलकर बहुत काम कर सकते हैं और अच्छे दोस्त बनकर एक दूसरे का साथ दे सकते हैं। हमें हमेशा एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए और सबके साथ मिलकर मिलजुल कर काम करना चाहिए।”

राम ने श्याम के शब्दों को सुनकर खुशी महसूस की, लेकिन वह जानने के लिए चाहता था कि श्याम वाकई में ईमानदार है या फिर यह ईमानदार का नाटक कर रहा है। इसलिए, राम ने एक छोटी सी चाल रची। उसने श्याम को एक बड़े से ताजमहल का चित्र दिखाया और कहा, “श्याम, यह ताजमहल है। इसे देखकर तुम्हें कैसा अनुभव हुआ?”

श्याम ने अपनी आंखें बंद की और बोला, “राम भाई, यह तो बहुत ही खूबसूरत है। मुझे तो ऐसा लगता है कि मैं वास्तविक ताजमहल के सामने हूं।” राम खुश हो गया कि श्याम ने सही उत्तर दिया है और उसका विश्वास जीत लिया है।

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कुछ दिन बाद, राम को कुछ काम से खेत में जाना था, तो राम ने श्याम से कहा, “श्याम, मैं अपने खेत में थोड़ी देर के लिए जा रहा हूं। क्या तुम मेरे घर की देखभाल करोगे?”

श्याम ने तुरंत हाँ कह दी और राम ने खुशी से उसे अपने घर छोड़ दिया। राम अपने खेत में चला गया और कुछ देर तक काम किया। लेकिन जब वह वापस अपने घर आया, तो उसे एक बड़ा सा सबूत मिला। उस सबूत को देखकर उसे बड़ी हैरानी हुई।

श्याम ने राम के घर से खूबसूरत ताजमहल के चित्र को चुरा लिया था। राम देखकर हैरान हो गया और श्याम से पूछा, “यह क्या है?”

और श्याम ने झूठ बोलकर कहा, “राम भाई, मैंने यह चित्र बाजार से खरीदा है। यह चित्र ताजमहल का है।”

राम को पता था कि श्याम झूठ बोल रहा है। राम ने उसे समझाया, “श्याम, सच बोलने की कोशिश करो। झूठ बोलने से तुम्हारी उम्र कम हो जाएगी।”

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श्याम को अपने घिसे पिटे जीवन से परेशानी हो रही थी। उसका दिल बहुत ही दुखी था और उसने राम के सामने झकझोर कर रोना शुरू कर दिया। राम ने श्याम को गले से लगाया और उसे समझाया, “श्याम, मैं तुम्हारा सच्चा मित्र हूं। मैं तुम्हारे साथ हर मुश्किल में खड़ा रहूंगा और तुम्हारी सहायता करूँगा।”

श्याम ने राम के वचनों में विश्वास किया और उसने अपने दिल की सारी बातें राम से बाँट दी। राम ने उसे समझाया कि अच्छे और बुरे समय में सच्चे मित्र हमेशा साथ देते हैं और उसे सहायता करते हैं। उसने श्याम को उसके गलत रास्ते से वापस ला कर एक सच्चे और निराश्रय दोस्त के रूप में उसे समर्थन और प्रेरणा दी।

साराँश:

एक सच्चे मित्र की पहचान उसके साथ बुरे समय में खड़ा होकर उसे सहायता करने और उसके जीवन को सुधारने में निहित होती है। विश्वासघाती और नकली मित्रता से बचने के लिए सच्चे मित्रों को पहचानने की कला का अभ्यास करें, जो हमें वास्तविक समर्थन और सहायता प्रदान करते हैं।