Mystery of the red door part 5 – धीरे-धीरे रिया और विजय ने बगीचे के भितरी हिस्से का पता किया और अनेक रहस्यमयी स्थानों को खोजा। उन्होंने विभिन्न परीक्षाएं पार कीं और भयानक मुश्किलो का सामना कीया। इस दौरान, उन्हें एक-दूसरे का साथ मिला हुआ देखकर वे अपनी कमजोरियों को भी पार कर गए।
एक दिन, रिया और विजय को एक छोटे से चावल के दाने की चिट्ठी मिली। चिट्ठी में लिखा था, “धन्यवाद, आप दोनों ने अपने साहस, समझदारी, और ईमानदारी से सभी रहस्यों का सामना किया है। अब आपके समक्ष एक और परीक्षा है। इस चावल के दाने को पाने के लिए, आपको सात दिवस में इस बगीचे में सभी गूंगी स्त्रियों का राज़ हल करना होगा। यदि आप सफल होते हैं, तो आपको यह अमूल्य रजत मूर्ति मिलेगी। शुभकामनाएँ।”
रिया और विजय को यह समझ में आया कि यह परीक्षा बहुत कठिन होगी, परंतु उनका मन आत्मविश्वास से भरा हुआ था। सात दिवसों में, वे बगीचे के हर कोने में गूंगी स्त्रियों के पास गए और उनसे रहस्यमयी प्रश्नों का समाधान मांगा। वे गूंगी स्त्रियों के हाथ बोलते थे, और उनके इशारों से जवाब प्राप्त करने का प्रयास करते थे।
Mystery of the red door part 5
सात दिन बितने के बाद, रिया और विजय को अंतिम स्थान पर एक गूंगी दादी के सामने खड़ा होना था। दादी एक कठिन प्रश्न पूछने के लिए तैयार थीं, लेकिन रिया और विजय ने विश्वास और साहस के साथ उस परीक्षा का सामना किया। धीरे-धीरे वे दादी की संकेत भाषा समझने लगे और उसके सवाल का सही उत्तर देने में सफल रहे।
धीरे-धीरे, दादी की आंखों में आंसू आने लगे और वे अपने आंचल में से एक छोटे से पात्र में स्वर्णमय चावल के दाने को रख दिया। रिया और विजय को उस अमूल्य रजत मूर्ति की प्राप्ति हो गई, जिसे खोजकर लाने के लिए उन्होंने इतने सारे रहस्यमयी परीक्षाओं का सामना किया था।
वे हर्षित होकर वापसी कर गए और वह अमूल्य रजत मूर्ति को उन्होंने विशेष स्थान पर रख दिया, जिसकी रक्षा करने के लिए वे नए रहस्यमयी दरवाज़े की खोज में निकल पड़े। रिया और विजय का एक नया सफर शुरू हो गया, और वे अपने साथ सभी गूंगी स्त्रियों के ध्वजवाहक बनकर नए रहस्यों की खोज करने के लिए तैयार हो गए।